नव विचारों की गहराई में,
एक स्वप्न छुपा था परछाई में।
जिज्ञासा के दीप जलाए,
मनुष्य ने नभ तक कदम बढ़ाए।
रथ से लेकर रॉकेट तक,
किस्सा लिखा समय के पन्नों पर।
पथरीली राहें भी मुस्काईं,
जब ज्ञान ने सीमाएं मिटाईं।
विज्ञान ने थामा हाथ हमारा,
हर बाधा को बनाया सहारा।
चमके चाँद के उजियारे में,
सपने सजे...