एक शायरी लिखी है
कभी मिलेगी तो सुनाउंग
तेरी सीरत साफ शीशे की तरह,
मेरे दामन में दाग हजारों है
तू नायाब किसी पत्थर की तरह,
मेरा उठना बेठठान बाजारों में है।
तेरी मोजूदगी का इंतराम कर भी लूं,
जब होगा रूबरू तो ये जज्बात कहा छुपाऊंगा ।
एक उम्र लेके आना,
में खाली किताब लेके आऊंगा,
तोड़ कर...