हर शाम चिराग़ों को बुझ़ा देता हूँ मैं
तेरी यादों की शमा ही काफी है मेरी रातें रौशन करने के लिए
हर रोज़ इस ख़याल से सहम जाता हूँ मैं
मेरी गली में तेरा आना ही काफी है मुझे रुसवा करने के लिए
तेरी यादों की शमा ही काफी है मेरी रातें रौशन करने के लिए
हर रोज़ इस ख़याल से सहम जाता हूँ मैं
मेरी गली में तेरा आना ही काफी है मुझे रुसवा करने के लिए